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परिचय
जब कोई कंपनी पब्लिक होने का फैसला करती है, तो उसका शोर हर जगह सुनाई देता है। वित्तीय समाचार, सोशल मीडिया और निवेश ऐप्स पर IPO यानी Initial Public Offering की चर्चा होती है। लेकिन हर IPO एक जैसा नहीं होता। इसके पीछे दो अलग-अलग चीज़ें चल रही हो सकती हैं — ऑफ़र फॉर सेल (OFS) या फ्रेश इश्यू। दोनों में शेयर जनता को बेचे जाते हैं, लेकिन पैसे अलग-अलग जगह जाते हैं।
Lenskart का बहुत प्रतीक्षित IPO इसे समझने का एक अच्छा उदाहरण है। यह आईवियर ब्रांड, जिसे इसके ऊर्जावान संस्थापक Peyush Bansal और आकर्षक विज्ञापनों ने लोकप्रिय बनाया, जल्द ही अपने शेयर सूचीबद्ध करने जा रहा है। लेकिन असली सवाल यह है — Lenskart निवेशकों को क्या पेशकश कर रहा है — फ्रेश इश्यू, OFS या दोनों? और यह बात आपके जैसे किसी निवेशक के लिए क्यों मायने रखती है?
IPO के पीछे के आँकड़े
विवरण में जाने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि IPO में पैसा कैसे चलता है। कौन से शेयर बेचे जा रहे हैं — नए जारी किए गए या पहले से मौजूद — इससे तय होता है कि आपके निवेश से किसे फ़ायदा होगा। यही फर्क तय करता है कि IPO कंपनी और उसके शेयरधारकों पर क्या असर डालता है।
फ्रेश इश्यू IPO में क्या होता है?
फ्रेश इश्यू का मतलब है कि कंपनी नए शेयर बना रही है और पहली बार जनता को बेच रही है। इससे मिला पैसा सीधे कंपनी के पास जाता है। इसे ऐसे समझिए जैसे कोई बेकरी ज़्यादा केक बेचकर नया ओवन खरीदने के लिए पैसा जुटा रही हो। पुराने शेयरधारक अपने शेयर रखते हैं, लेकिन अब कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
Lenskart के असली आँकड़ों से इसे समझना आसान होगा। IPO से पहले कंपनी के पास 1,68,10,15,590 शेयर थे। अब यह 5,34,82,587 नए शेयर जारी करने की योजना बना रही है, जिससे लगभग ₹2,150 करोड़ जुटेंगे। ये नए शेयर कुल शेयरों की संख्या बढ़ाते हैं और कंपनी में नया पैसा लाते हैं, जिसे नए स्टोर खोलने, तकनीक सुधारने या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेकिन इसका एक असर यह भी होता है — पुराने शेयरधारकों की हिस्सेदारी थोड़ी कम हो जाती है, क्योंकि अब कुल शेयर बढ़ गए हैं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि कंपनी की वित्तीय क्षमता बढ़ जाती है, जिससे तेज़ी से विकास संभव होता है।
ऑफ़र फॉर सेल (OFS) में क्या होता है?
ऑफ़र फॉर सेल (OFS) का तरीका अलग है। इसमें पहले से मौजूद शेयरधारक — जैसे शुरुआती निवेशक, प्रमोटर या वेंचर कैपिटल फर्म — अपने कुछ शेयर जनता को बेचते हैं। कोई नया शेयर नहीं बनता। इस बिक्री से मिला पैसा कंपनी को नहीं, बल्कि उन शेयरधारकों को मिलता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए Lenskart का कोई शुरुआती निवेशक, जिसने कई साल पहले निवेश किया था, अब कुछ मुनाफा लेना चाहता है। वह अपने शेयरों का कुछ हिस्सा IPO के OFS भाग के ज़रिए बेच सकता है। जैसे कि Lenskart के शुरुआती निवेशक 12,75,62,573 शेयर, लगभग ₹5,128 करोड़ के बेचने की योजना बना रहे हैं। इससे कंपनी के बैंक बैलेंस में कोई बदलाव नहीं होता — बस पुराने निवेशकों की जगह नए निवेशक आ जाते हैं।
OFS शेयर बाज़ार का एक स्वस्थ हिस्सा है। यह शुरुआती निवेशकों को अपने निवेश से बाहर निकलने का अवसर देता है और नए निवेशकों को कंपनी के अगले विकास चरण में भाग लेने का मौका देता है।
Lenskart का उदाहरण
Lenskart का IPO दोनों हिस्सों को मिलाता है — फ्रेश इश्यू और ऑफ़र फॉर सेल (OFS)। कुल इश्यू साइज 18,10,45,160 शेयरों का है, जिसकी कुल राशि लगभग ₹7,278.02 करोड़ है। इसमें से लगभग ₹2,150 करोड़ फ्रेश इश्यू से आएँगे (जो कंपनी को मिलेंगे), और ₹5,128.02 करोड़ OFS से आएँगे (जो बेचने वाले शेयरधारकों को मिलेंगे)।
यह मिश्रित संरचना बहुत सामान्य है। फ्रेश इश्यू यह दिखाता है कि कंपनी विस्तार के लिए पूंजी जुटाना चाहती है — शायद अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए। वहीं OFS से पुराने निवेशकों को अपने निवेश का कुछ हिस्सा निकालने का मौका मिलता है। दोनों ही आवश्यक हैं और अपने-अपने उद्देश्य पूरे करते हैं।
इसे समझने के लिए थोड़ा गणित
आइए इसे वास्तविक IPO आँकड़ों से समझें।
IPO से पहले - जारी शेयर (प्रारंभिक): 1,68,10,15,590
IPO के दौरान - फ्रेश इश्यू (नए शेयर जारी): 5,34,82,587 शेयर (₹2,150.00 करोड़) - ऑफ़र फॉर सेल (पुराने शेयर बेचे गए): 12,75,62,573 शेयर (₹5,128.02 करोड़) - कुल इश्यू साइज: 18,10,45,160 शेयर (₹7,278.02 करोड़)
IPO के बाद - कुल शेयर = पहले के शेयर + नए शेयर = 1,73,44,98,177
ध्यान दें कि OFS वाले शेयर कुल में नहीं जुड़ते क्योंकि वे पहले से मौजूद थे — बस उनके मालिक बदले हैं। जबकि फ्रेश इश्यू वाले शेयर नए बनाए गए हैं, जिससे कंपनी की पूँजी बढ़ती है।
निवेशकों के लिए दोनों तरह के शेयर लिस्टिंग के बाद एक जैसे ही ट्रेड होते हैं। फर्क बस इतना है कि आपका पैसा कहाँ जा रहा है — कंपनी की वृद्धि में (फ्रेश इश्यू) या पुराने निवेशकों को (OFS)।
अंतिम विचार
जब Lenskart जैसी कोई कंपनी अपना IPO घोषित करती है, तो उसमें उत्साह होना स्वाभाविक है। लेकिन निवेश करने से पहले यह ज़रूर देखें कि ऑफर का कितना हिस्सा फ्रेश इश्यू है और कितना OFS। यही जानकारी बताएगी कि आपका पैसा वास्तव में कहाँ जा रहा है। यह समझ आपको किसी भी IPO को बेहतर तरीके से आँकने में मदद करेगी।
अगर ज़्यादातर हिस्सा फ्रेश इश्यू का है, तो इसका मतलब है कि कंपनी विस्तार, कर्ज घटाने या शोध में निवेश करने के लिए पूंजी जुटा रही है — यह अक्सर सकारात्मक संकेत होता है। अगर ज़्यादातर हिस्सा OFS का है, तो इसका मतलब है कि पुराने निवेशक अपने हिस्से बेच रहे हैं और कंपनी को इस पैसे का सीधा लाभ नहीं मिलेगा।
Lenskart के मामले में, OFS वाले शेयरों की संख्या “फ्रेश” शेयरों से लगभग दोगुनी है। यह असामान्य नहीं है। इसका सीधा अर्थ है कि कुछ शुरुआती निवेशक अपने हिस्से का कुछ भाग निकाल रहे हैं, जबकि साथ ही कंपनी अपने अगले विकास चरण के लिए नई पूंजी भी जुटा रही है।