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मूल बातें: डिपॉजिटरी आखिर है क्या?
चलें शुरुआत समझने से करते हैं।
जैसे आपका बैंक आपके पैसे को डिजिटल रूप से संभालता है, वैसे ही डिपॉजिटरी आपके शेयर, बॉन्ड, ETF, और म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसी सिक्योरिटीज़ को इलेक्ट्रॉनिक रूप में संभालती है।
तो जब आप किसी कंपनी (जैसे रिलायंस) के शेयर खरीदते हैं, तो आपको कोई फिज़िकल सर्टिफिकेट नहीं मिलता। बल्कि वे शेयर आपके डिमैट अकाउंट (डिमटेरियलाइज़्ड अकाउंट) में डिजिटल रूप से दर्ज हो जाते हैं।
डिपॉजिटरी यह सुनिश्चित करती है कि आपकी होल्डिंग्स:
- सुरक्षित रूप से रखी जाएं
- आसानी से ट्रांसफर हों
- सही-सही रिकॉर्ड हों
जैसे बैंक के ब्रांच होते हैं, वैसे ही डिपॉजिटरी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DPs) के ज़रिए काम करती हैं — जैसे आपका ब्रोकरेज (Zerodha, ICICI Direct, Groww आदि)।
डिपॉजिटरी क्यों ज़रूरी हैं
डिपॉजिटरी के आने से पहले भारत में शेयर ट्रेडिंग पेपर पर होती थी। सर्टिफिकेट खो जाते थे, सिग्नेचर मैच नहीं होते थे, और ट्रांसफर में हफ्तों लग जाते थे।
90s के बीच में भारत ने डिपॉजिटरी सिस्टम शुरू किया, जिससे:
- फिज़िकल शेयर सर्टिफिकेट की ज़रूरत खत्म हो गई
- T+1 सेटलमेंट मुमकिन हुआ (आज खरीदो, कल शेयर मिल जाए)
- ट्रेडिंग तेज़, सुरक्षित और लाखों लोगों के लिए आसान बन गई
आज डिपॉजिटरी शेयर बाज़ार की ज़रूरी बुनियादी व्यवस्था का हिस्सा है — इसी से आधुनिक निवेश संभव है।
एक आसान उदाहरण से समझते हैं
मान लीजिए आपने अपने ट्रेडिंग ऐप से Infosys के 10 शेयर खरीदे। क्या होता है?
- आप शेयर खरीदने का ऑर्डर लगाते हैं
- स्टॉक एक्सचेंज आपकी डील मैच करता है
- डिपॉजिटरी (NSDL या CDSL) को सूचना मिलती है
- सेटलमेंट डे (T+1) पर सेलर का डिमैट डेबिट होता है और आपका डिमैट क्रेडिट
यह UPI जैसा है — फर्क बस इतना है कि पैसा नहीं, सिक्योरिटीज़ ट्रांसफर हो रही हैं। और डिपॉजिटरी वह भरोसेमंद सिस्टम है जो यह सब सुचारू रूप से चलाती है।
भारत में दो डिपॉजिटरी हैं: NSDL और CDSL
भारत उन कुछ देशों में से है जिनके पास दो लाइसेंस प्राप्त डिपॉजिटरी हैं:
- NSDL (नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉजिटरी लिमिटेड) — 1996 में शुरू, NSE द्वारा समर्थित
- CDSL (सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज़ लिमिटेड) — 1999 में शुरू, BSE द्वारा समर्थित
दोनों पर SEBI का नियंत्रण है और इनका कामकाज लगभग एक जैसा है। आपका ब्रोकरेज तय करता है कि आपका डिमैट किसमें होगा।
NSDL पर एक नज़र
NSDL भारत की पहली डिपॉजिटरी थी और आज भी होल्डिंग वैल्यू में सबसे बड़ी है। यह ट्रेड सेटलमेंट, सिक्योरिटी स्टोरेज और निवेशक सेवाओं में अहम भूमिका निभाती है।
NSDL के कामों में शामिल है:
- सिक्योरिटीज़ को डिजिटल रूप में संभालना — जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड्स, ETF, म्यूचुअल फंड यूनिट्स
- ट्रेड सेटलमेंट्स को संभव बनाना — खरीददार और बेचने वाले के बीच ट्रांसफर सुनिश्चित करना
- मालिकाना रिकॉर्ड रखना — PAN और आधार से जुड़ा होता है
- कॉर्पोरेट ऐक्शन्स को सपोर्ट करना — डिविडेंड्स, राइट्स इश्यू, बोनस शेयर
- शेयर को गिरवी रखना और हटाना — लोन के लिए
यह सरकार की कुछ योजनाओं में भी योगदान करता है:
- ई-KYC इंफ्रास्ट्रक्चर
- नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (अकादमिक सर्टिफिकेट स्टोर करने के लिए)
- इंश्योरेंस रिपॉजिटरीज़ और डिजिटल सिग्नेचर
NSDL अभी लिस्टेड नहीं है, लेकिन इसका IPO जल्द आने की उम्मीद है। इसके निवेशकों में IDBI Bank, NSE, SBI, HDFC Bank, Citibank, और Standard Chartered शामिल हैं।
CDSL के बारे में
CDSL, दूसरी डिपॉजिटरी, 2017 में पब्लिक हुई और तब से खासकर रिटेल निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो गई है।
आज CDSL के पास NSDL से ज़्यादा इंडिविजुअल डिमैट अकाउंट्स हैं — इसका कारण यह है कि Zerodha और Upstox जैसे ब्रोकर्स डिफॉल्ट रूप से CDSL चुनते हैं।
यहां एक त्वरित तुलना है:
| मापदंड | NSDL | CDSL |
|---|---|---|
| स्थापना वर्ष | 1996 | 1999 |
| किसके द्वारा समर्थित | NSE | BSE |
| लिस्टेड स्थिति | IPO आने वाला है | लिस्टेड (2017) |
| डिमैट अकाउंट्स (लगभग) | ~3 करोड़ | ~10 करोड़ |
| मार्केट शेयर (मूल्य में) | ज़्यादा | कम |
दोनों ही जरूरी काम करते हैं — फर्क बस इतना है कि आपका ब्रोकरेज किससे जुड़ा है।
आखिरी बात: क्यों आपको ध्यान देना चाहिए
जब आप शेयर में निवेश करते हैं, तो आपका ध्यान भाव, चार्ट्स और न्यूज़ पर होता है। लेकिन पर्दे के पीछे, डिपॉजिटरीज़ जैसे NSDL और CDSL लगातार यह सुनिश्चित कर रही हैं कि आपके शेयर सुरक्षित रहें और लेनदेन सुचारू हो। इनके बिना, आज भी हमें कागज़ी सर्टिफिकेट, लंबा इंतज़ार और दस्तावेज़ी उलझनों से जूझना पड़ता।
तो जब NSDL का IPO चर्चा में है, यह अच्छा मौका है बाज़ार की बुनियादी व्यवस्था को समझने का, जो निवेश को इतना आसान बनाती है। चाहे आप NSDL में निवेश करें या नहीं — यह जानना ज़रूरी है कि यह (और CDSL) हर दिन भारत के वित्तीय सिस्टम को चुपचाप मज़बूती से चलाते हैं।